कैप्टन के बीजेपी के साथ आने के मायने

कांग्रेस का कैप्टन के ऊपर सिद्धू को तवज्जों देना कितना सही था इसको लेकर विचार हो सकता है लेकिन कुछ दिनों बाद ही कैप्टन का बीजेपी के साथ जाना, जिनके साथ पहले से अकाली दल का आना लगभग तय माना जा रहा है उनके पतन की आख़िरी पराकाष्ठा है।

वैसे कैप्टन साहब को अपने राजनीतिक जीवन में सफ़लता तभ ही मिली है जब वह बीजेपी और अकाली दल का विरोध करते रहे है।।।

बीजेपी को शायद लग रहा होगा की कैप्टन साहब के साथ मिलकर वो आप और कांग्रेस से पंजाब में मुकाबला कर लेगी, ये पंजाब के वर्तमान हालात को देखकर बिल्कुल भी संभव नहीं लग रहा है, क्योंकि पंजाब विधानसभा चुनावों में कांटे की टक्कर अभी के अनुमानों के आधार पर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में ही हैं। हालिया स्थिति के अनुसार बीजेपी को पंजाब में एक लोकप्रिय चहरे की ज़रूरत थी और कैप्टन को किसी बड़ी पार्टी की ज़रूरत थी, इस कारण दोनों को साथ आना पड़ा।।

हाल ही में चंडीगढ़ के नगर निगम चुनावों में आम आदमी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी के रुप में उभरकर सामने आयी है, जनता में आम आदमी पार्टी की लोकप्रियता लगातार बढ़ती हुई नज़र आ रही है। नतीजों के बाद आम आदमी पार्टी के पंजाब सह प्रभारी राघव चड्डा ने कहां की "चंडीगढ़ सिर्फ़ ट्रेलर हैं, पंजाब फिल्म अभी बाकी हैं" जो आम आदमी पार्टी के उत्साह को दिखाता है।।

बीजेपी को कैबिनेट मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत शायद थोड़ी बहुत सीटो पर मुकाबलों में ले आये लेकिन वहां पर अभी पार्टी इतनी मजबूत नहीं है की उसकी सरकार पंजाब में बनवा दे।। साथ ही गजेंद्र सिंह शेखावत के लिए भी पंजाब विधानसभा के चुनाव अग्नि परीक्षा होंगे, क्योंकि पिछले कुछ वर्षो में शेखावत साहब को बीजेपी राजस्थान में वसुंधरा राजे के सामने बड़े दावेदार के रूप में प्रोजेक्ट कर रही है और इसी क्रम में यदि गजेंद्र सिंह शेखावत के राजनीतिक कौशल के बल पर बीजेपी पंजाब में अच्छा प्रदर्शन करती हैं तो उनका राजस्थान के आगामी चुनावों में अपना दावा और पुख्ता हो जायेगा। क्योंकि पिछले कुछ समय में देखा गया हैं की वसुंधरा राजे और उनके बेटे दुष्यंत सिंह की बीजेपी से कई मुद्दों पर नाराज़गी देखी गई है तो बीजेपी किसी भी हाल में अब ये नही चाहती की किसी राज्य में उनकी सरकार हो और वहां का मुखिया बीजेपी के टॉप लीडरशिप के खिलाफ़ हो, इसलिए ही पिछले कुछ समय से राजस्थान में वसुंधरा राजे को बीजेपी दरकिनार कर रही है।

हाल ही में हुए जिला परिषद् के चुनावो में भी देखा गया हैं की वसुंधरा राजे का अपना विधानसभा और उनके बेटे दुष्यंत सिंह के लोकसभा क्षेत्र बारां में बीजेपी को स्पष्ट बहुमत होने के बाबजूद भी वहां पर बीजेपी अपना जिला प्रमुख नही बना पाई, इसको लेकर भी स्थानीय बीजेपी कार्यकर्ताओं में खासी नाराजगी देखी गई है, क्योंकी इस घटनाक्रम को वसुंधरा और उनके बेटे की हाई कमान से चल रही नाराज़गी से जोड़कर देखा जा रहा हैं।।

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