हार के बाद हरीश रावत ले सकते हैं सक्रिय राजनीति से संन्यास

गुरूवार 10 मार्च को घोषित हो रहे पांच राज्यो के चुनावी नतीजों में बीजेपी को बंपर जीत मिली है बीजेपी 5 राज्यों में से 4 राज्यों में अपनी पार्टी की सरकार बना सकती हैं वहीं दुसरी तरफ कांग्रेस पार्टी अपने एकमात्र राज्य पंजाब को भी नही बचा पाई है जहां पर आम आदमी पार्टी ने शानदार जीत हासिल की है। कांग्रेस पार्टी को सबसे ज्यादा जीत की उम्मीद उत्तराखण्ड में थी जहां पर हमेशा से हर पांच साल में सत्ता परिवर्तन की परंपरा रही है और बीजेपी में भी पिछले एक साल से पार्टी में भी उठा- पटक देखी गईं हैं जहां पर एक साल के अन्दर बीजेपी ने तीन मुख्यमंत्री बदल दिए थे। इस कारण कार्यकर्ताओं में भी निराशा देखी जा रही थी इस कारण से बीजेपी के कई विधायक और मंत्री चुनावो से ठीक पहले कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए थे। लेकिन सभी को चौंकाते हुए बीजेपी यहां भी बंपर जीत हासिल करती दिख रही हैं, बीजेपी यहां की 70 में से 48 सीटे जीत सकती हैं।

कांग्रेस की तरफ से सीएम उम्मीदवार माने जा रहे हरीश रावत को अपनी सीट लालकुआं से करारी हार का सामना करना पड़ा है यहां पर उन्हें बीजेपी के मोहनसिंह बिष्ट ने 14000 वोटो से हराया है।। हरीश रावत की हार के बाद अब उनके विरोधियों को उन पर हमले करने के मौके मिल गए हैं क्योंकि हरीश रावत लगातार तीसरी बार चुनाव हारे हैं। इससे पहले भी हरीश रावत 2017 का विधानसभा चुनाव लड़े थे और उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। कांग्रेस ने 2017 के चुनाव में हरीश रावत को सीएम के तौर पर प्रोजेक्ट भी किया था, हरीश रावत के हारने के बाद कांग्रेस में उनके विरोधी मजबूत हुए थे और इसके कारण रावत को राज्य की सियासत से बाहर कर दिया गया था। कांग्रेस ने उन्हें पहले असम का प्रभारी बनाया और उसके बाद पंजाब का प्रभारी महासचिव बनाया। लेकिन राज्य की सियासत में रावत को उन्हें विरोधियों ने ज्यादा सक्रिय नहीं होने दिया। इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हरिद्वार लोकसभा सीट ये भी हार मिली। वहीं अब 2022 के विधानसभा चुनाव में हरीश रावत को एक बार फिर हार मिली है। पिछले दिनों ही हरीश रावत ने एक बयान दिया था। जिसके बारे में कहा जा रहा था कि उन्होंने ये बयान कांग्रेस आलाकमान पर दबाव बनाने के लिए दिया है। हरीश रावत ने कहा था कि या तो वह सीएम बनेंगे या फिर घर में बैठेंगे। हालांकि इसके बाद रावत ने सफाई भी दी। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए हरीश रावत अपने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले सकते है। वैसे भी इस बार हरिद्वार ग्रामीण से उनकी बेटी अनुपमा रावत चुनाव जीत चुकी हैं , अनुपमा को टिकट दिलाने में हरीश रावत ने अहम भूमिका निभाई थी।।

हरीश रावत के सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने के बाद कांग्रेस पार्टी को बड़ा झटका लग सकता है। क्योंकि कांग्रेस पार्टी इस वक्त अपने सबसे बुरे दौर से गुज़र रही हैं और इस वक्त पर कांग्रेस पार्टी को हरीश रावत जैसे नेता का सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने का फ़ैसला पार्टी के लिए और मुश्किल खड़ी कर सकता है। हरीश रावत जैसे नेताओ की पार्टी को राज्य के साथ- साथ केन्द्रीय स्तर पर भी बहुत ज़रूरत है। इससे पहले भी हरीश रावत असम और पंजाब जैसे राज्यों में प्रभारी के तौर पर अपना दायित्व निभा चुके है। और पार्टी को कई बार अपने आंतरिक संकट से निकल चुके है ।। अब आने वाले समय में देखना यह होगा की हरीश रावत अपनी आगे की राजनीति के बारे में क्या फ़ैसला लेते हैं।।

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